۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ज़लिमों की मदद करना या उनका सहायक और मदद गार बनना, और इसी तरह उनकी ओर से कोई पद स्वीकार करना हाराम है, सिवाय इसके कि जब वह अस्ल काम शरीयत के अनुसार सही और स्वीकार्य हो और इस पद को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए फायदेमंद हो।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल:ज़लिमों की मदद करना और उनके द्वारा दिये गये पद को स्वीकार करना कैसा है? 

उत्तर:ज़लिमों की मदद करना या उनका सहायक और मदद गार बनना, और इसी तरह उनकी ओर से कोई पद स्वीकार करना हाराम है, सिवाय इसके कि जब वह अस्ल काम शरीयत के अनुसार सही और स्वीकार्य हो और इस पद को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए फायदेमंद हो,

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